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मुख्यमंत्री सुक्खू ने केंद्रीय बजट को असमान और हिमाचल विरोधी करार दिया।
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सेब उत्पादकों, रेल विस्तार और विशेष वित्तीय पैकेज पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
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बेरोजगारी, महंगाई और कृषि सुधारों पर ठोस समाधान का अभाव।
CM Sukhu Slams Union Budget: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट को असमान, अवसरवादी और हिमाचल प्रदेश के साथ भेदभावपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि इस बजट का बड़ा हिस्सा बिहार राज्य पर केंद्रित है, जबकि हिमाचल समेत अन्य राज्यों की जरूरतों और विकास योजनाओं को नजरअंदाज कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने मांग की कि हिमाचल प्रदेश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इस बजट में संशोधन किया जाए।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि यह बजट बेरोजगारी, गरीबी और महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दों को हल करने में पूरी तरह विफल रहा है। उन्होंने खासतौर पर हिमाचल के सेब उत्पादकों का जिक्र करते हुए कहा कि सेब आयात शुल्क में वृद्धि नहीं की गई, जिससे राज्य के बागवानों को राहत मिल सके। यह हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचाने वाला कदम है।
रेल विस्तार और वित्तीय पैकेज पर उपेक्षा
मुख्यमंत्री ने बजट में हिमाचल प्रदेश में रेल विस्तार को स्थान न दिए जाने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए रेल कनेक्टिविटी अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन केंद्र सरकार ने इस विषय को पूरी तरह नजरअंदाज किया है। इसके अलावा, राज्यों को दिए जाने वाले ब्याज मुक्त ऋण की 1.5 लाख करोड़ रुपये की सीमा में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई, जबकि हिमाचल जैसे छोटे राज्यों के लिए इस ऋण को आसान शर्तों पर उपलब्ध कराना आवश्यक था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति समाप्त होने के बाद हिमाचल प्रदेश गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। इसके बावजूद बजट में हिमाचल को कोई विशेष वित्तीय पैकेज नहीं दिया गया, जिससे राज्य को हर साल करोड़ों की क्षति उठानी पड़ रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से हिमाचल के लिए विशेष वित्तीय सहायता की मांग दोहराई।
आयकर और कृषि क्षेत्र की उपेक्षा
मुख्यमंत्री ने मध्यम वर्ग को आयकर में अपेक्षित राहत न दिए जाने पर भी असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नए प्रत्यक्ष कर ढांचे के कारण मध्यम वर्ग को कर राहत के बजाय पहले से अधिक बोझ उठाना पड़ा है। यह बजट गरीब विरोधी और अवसरवादी है, जो मध्यम वर्ग के हितों की अनदेखी करता है।
उन्होंने कृषि क्षेत्र की अनदेखी पर भी केंद्र सरकार को घेरा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), आधुनिक कृषि पद्धतियों और बुनियादी ढांचे के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया। इससे किसानों की समस्याएं और बढ़ेंगी।
मुख्यमंत्री की मांग
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय बजट को समावेशी और न्यायसंगत बनाने की आवश्यकता है। इसमें बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई और आर्थिक असमानताओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की जनता एक ऐसे बजट की अपेक्षा करती है, जो हर वर्ग को समान रूप से लाभ पहुंचाए और देश के वास्तविक आर्थिक और सामाजिक विकास का मार्ग प्रशस्त करे।